मौत क्या है शायरी
मेरे दोस्त मेरे हमराह मौत के बारे मे हर कोई जानता है की मौत किसे कहते है दोस्तो आज हम अपनी शायरी के जारिए बाताना चाहेता हूं
की मौत क्या है
(1) मौत को तो देखा नही पर शायद वो हुशनो जमाल से भरी होगी
जो भी उसको देखता है दुनिया को अलविदा कह देता है
(2)मौत उस हशीन लम्हे का नाम है जिसके गुजरने पर लोग
फिर किसी लम्हे की आरजू नही करते
(3)मौत को तो लोग बिल वजा इलजाम देते है
सचतो ये है की रुसवा जिन्दागी ही इन्सान को करती है
(4)मौत को समझने के लिए बस इतना ही
काफी है
मौत सावन की वो आंधी है जो आने के बाद
ये नही देखती की आम कच्चा है य पक्का
(5)मौत उस रुहानियत का नाम है
जिसको देखने के बाद इन्सान सब कुछ भूल जाता है
कोई मुझे बतादो वो कौन सा जादू करती है
(6)जो खुद खुदा होने का दावा करते थे
वो भी नही बचा पाए खुदको मौत से
(7)
इस जहां में मौत को किसने देखा है
जिसने देखा है सिर्फ इंसानों को मरते देखा है
(8) मौत से इंसानों की न जाने कैसी रिश्तेदारी है
उसके पास जाने की आज हमारी तो कल औरो की बारी है
(9)एक मामुली से इन्सान के हर मक्सद मे न जाने कितनी फितरते है
और एक मौत है जिसके हर फितरत मे सिर्फ एक ही मक्सद है
(10)खुदा ने जब आदम का पुतला बनाया था
एक फरिशते से धरती की मिट्टी मंगाया था
एक दिन बदला लूंगी धरती ने फरिशते को बताया था
उसी वक्त रब ने उस फरिशते को मलकुल मौत बनाया था
दोस्तो मुझे याकीन है की आप लोग को पता चलगया होगा मौत क्या है
मेरे दोस्त मेरे हमराह मौत के बारे मे हर कोई जानता है की मौत किसे कहते है दोस्तो आज हम अपनी शायरी के जारिए बाताना चाहेता हूं
की मौत क्या है
(1) मौत को तो देखा नही पर शायद वो हुशनो जमाल से भरी होगी
जो भी उसको देखता है दुनिया को अलविदा कह देता है
(2)मौत उस हशीन लम्हे का नाम है जिसके गुजरने पर लोग
फिर किसी लम्हे की आरजू नही करते
(3)मौत को तो लोग बिल वजा इलजाम देते है
सचतो ये है की रुसवा जिन्दागी ही इन्सान को करती है
(4)मौत को समझने के लिए बस इतना ही
काफी है
मौत सावन की वो आंधी है जो आने के बाद
ये नही देखती की आम कच्चा है य पक्का
(5)मौत उस रुहानियत का नाम है
जिसको देखने के बाद इन्सान सब कुछ भूल जाता है
कोई मुझे बतादो वो कौन सा जादू करती है
(6)जो खुद खुदा होने का दावा करते थे
वो भी नही बचा पाए खुदको मौत से
(7)
इस जहां में मौत को किसने देखा है
जिसने देखा है सिर्फ इंसानों को मरते देखा है
(8) मौत से इंसानों की न जाने कैसी रिश्तेदारी है
उसके पास जाने की आज हमारी तो कल औरो की बारी है
(9)एक मामुली से इन्सान के हर मक्सद मे न जाने कितनी फितरते है
और एक मौत है जिसके हर फितरत मे सिर्फ एक ही मक्सद है
(10)खुदा ने जब आदम का पुतला बनाया था
एक फरिशते से धरती की मिट्टी मंगाया था
एक दिन बदला लूंगी धरती ने फरिशते को बताया था
उसी वक्त रब ने उस फरिशते को मलकुल मौत बनाया था
दोस्तो मुझे याकीन है की आप लोग को पता चलगया होगा मौत क्या है
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