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बचपन की यादें शायरी हिंदी में पढ़ें

    बचपन की यादें शायरी हिंदी में पढ़ें

     दोस्तों जैसे कि आप लोग जानते हैं बचपन की यादें
    बड़ी मीठी यादें होती हैं
    कौन नहीं अपने बचपन को याद करना चाहता है हर इंसान
    याद करना चाहता है
    और खाली याद ही नहीं करना चाहता
    हर इंसान यह सोचता है कि मेरा बचपन वापस लौट आए
   पर दोस्तों ऐसा कब हुआ है किसका हुआ है 
   कि बचपन  वापस लौट आया हो
 दोस्तों बचपन वापस लौट कर नहीं आता है
 सिर्फ उसकी यादें आती हैं
और जो हमारे बुजुर्गों ने भी कह गए हैं
 यादों के सहारे जिंदगी बिताई जा सकती है
चलिए हम आप लोगों का अपनी शायरी के जरिए
 आपको  आप का बचपना याद दिलाते हैं
(1 )बचपन भी कितना अजीब होता है 
जो चाहो वह अपने करीब होता है 
बचपन तो हर शख्स का रहता है 
फर्क इतना 
कोई अमीर तो कोई गरीब होता है

(2) काश वो दिन फिर आ जाए
 जब मां हमारी आंखों में काजल लगाती थी  
हमारे चीखने पर कहती थी 
अरे मैं तो भूल ही गई कि मैं चटनी पीसी थी

(3) हमारे गांव के वो पल हमें जब याद आते हैं
 कहीं तन्हाइयों में जाकर हम आंसू बहाते हैं

(4) फकत इंसान का हुस्नो से भरा बदन अच्छा नहीं लगता 
जहां बच्चे नहीं वहां गगन  अच्छा नहीं लगता

(5) हमारे लड़कपन कि वो बातें भी निराली थी 
जहां के दिन दशहरा थे और राते भी दिवाली थी

(6)वो कागज की नाव जो बारिश में चलाते थे
 कहीं ना कहीं तो वो डूब जाते थे
 वो लम्हें हमें जब याद आते हैं
 आंसुओं की बारिश में हम भी भीग जाते हैं

(7) उस मासूम पर न जाने क्या बीता होगा
 जिसके तोड़ दिए थे बचपन में हमने खिलौने सारे 
सिर्फ एक बार ही तो बोली थी 
कि क्या खेलें हो कभी हाथ में लेकर चांद तारे

(8) आज भी जब मैं किसी खूबसूरत चीज को देखता हूं 
तो मुझे वो ख्याल आता है 
बड़ी मासूमियत भरी अदाओं से मेरी मां ने मुझसे कहा था 
बेटा लालच बुरी बला है

दोस्तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं कि शायरी कैसी लगी
सददाम पठान
                                     

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